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OWNER OF TATA GROUP
ताता समूह के मालिक का पूरा इतिहास निम्नलिखित है: ताता परिवार का नाम भारतीय उद्यमिता और समाजसेवी जमशेदजी टाता से जुड़ा है, जिन्होंने सन् 1868 में ताता सोंस कंपनी की स्थापना की। इसके बाद, उनके पोते जी आर डी टाता ने समूह को नया दिशा देने का काम किया। रतनजी टाता ने व्यापार और उद्योग में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने टाटा स्टील कंपनी को मज़बूत किया और विभिन्न क्षेत्रों में नए परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा पावर, और टाटा टीटी के अंतर्गत। रतन टाटा ने समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस्स) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ंडामेंटल रिसर्च (टिफ़आर) जैसे शिक्षा संस्थानों की स्थापना की। 2021 में रतन टाटा ने न्यारा स्टील की खरीदारी के बाद समूह के नेतृत्व से संबंध तोड़ने का फ़ैसला लिया। वरिष्ठ उद्यमिता नटराजन चंद्रसेकरन ने उनकी जगह ली। इस प्रकार, ताता समूह का इतिहास उद्यमिता, समाजसेवा, और व्यवसायिक मानकों के प्रति आदरभावना के साथ जुड़ा है।
TATA GROUP - RATAN TATA BIOPIC STORY
रतन टाटा, भारतीय उद्यमिता और समाजसेवी, जिन्होंने ताता समूह को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था। रतन टाटा का शिक्षा का कार्यक्रम इंग्लैंड के कॉलेज के कैमब्रिज विश्वविद्यालय से शुरू हुआ था, जहाँ से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद भारत लौटकर ताता समूह के विभिन्न क्षेत्रों में काम करना शुरू किया। रतन टाटा ने ताता समूह के उत्कृष्ट प्रबंधन कौशल और उद्यमिता के बारे में अपने संकल्प से प्रमाण दिया। उन्होंने समूह के विभिन्न क्षेत्रों में नए परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर, और टाटा टीटी के अंतर्गत। उनकी समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस्स) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ंडामेंटल रिसर्च (टिफ़आर) जैसे शिक्षा संस्थानों की स्थापना की। रतन टाटा का उद्यमिता, समाजसेवा, और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान उन्हें भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाता है, और उन्हें एक प्रेर...
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