CHANDRAYAN 3 - ISRO
सभी दर्शकों का स्वागत है और मेरे चैनल पर आपका स्वागत है जिसमें हम चंद्रयान 3 के बारे में बात करेंगे। चंद्रयान 3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) द्वारा तीसरी चंद्रक्रिया मिशन है। यह 2023 में लॉन्च किया जाने की योजना है और यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा।
चंद्रयान मिशनों का इतिहास
चंद्रयान कार्यक्रम 2003 में चंद्रयान 1 के प्रक्षेपण के साथ शुरू हुआ था। चंद्रयान 1 एक चंद्रमा ओर्बिटर था जिसने चंद्रमा की सतह को मैप किया और जल की खोज की। यह सफल रहा और इसने आगामी दो मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
चंद्रयान 2 को 2019 में लॉन्च किया गया। यह एक अधिक महत्वपूर्ण मिशन था जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल था। लैंडर, विक्रम, चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ, लेकिन रोवर, प्रज्ञान, को खो दिया गया।
चंद्रयान 3 मिशन के उद्देश्य
चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर लैंड करना है। दक्षिणी ध्रुव को जल की खोज के लिए एक अच्छा स्थान माना जाता है, और चंद्रयान 3 वैज्ञानिकों को चंद्रमा की जल संसाधनों के बारे में और अधिक सीखने में मदद करेगा।
मिशन इसकी भूविज्ञान और खनिजशास्त्र का अध्ययन करेगा, और यह पूर्व जीवन के संकेतों की भी खोज करेगा।
चंद्रयान 3 में प्रयुक्त तकनीक
चंद्रयान 3 में एक नए लैंडर और एक नए रोवर सहित कई नई तकनीकें प्रयुक्त की जाएगी। लैंडर को एक रोबोटिक बाहु दिया जाएगा जिसका उपयोग रोवर को डिप्लॉय करने के लिए किया जाएगा। रोवर को सौर सेल्स से पावर सप्लाई की जाएगी और यह 500 मीटर तक यात्रा कर सकेगा।
चंद्रयान 3 मिशन की चुनौतियाँ
चंद्रयान 3 की प्रमुख चुनौती चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना होगा। दक्षिणी ध्रुव बहुत ठंडा और अंधेरा स्थान है, और यह अनियमित भूभाग के कारण वहां लैंडिंग करना भी बहुत मुश्किल है।
दूसरी चुनौती चंद्रमा की धूल है। चंद्रमा की धूल बहुत छोटी और घर्षणकारी होती है, और यह अंतरिक्ष यान को क्षति पहुँचा सकती है। चंद्रयान 3 को चंद्रमा की धूल का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया जाना होगा।
निष्कर्ष
चंद्रयान 3 एक चुनौतीपूर्ण लेकिन रोमांचक मिशन है। इसमें चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण खोज हो सकती है, और यह हमें हमारे ग्रह के इतिहास के बारे में और अधिक सीखने में मदद कर सकता है।
चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया। लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से श्रीहरिकोटा, भारत से हुआ। अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक 20 जुलाई 2023 को चंद्रमा की ओरबिट में प्रवेश किया। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की योजना है कि वे 6 सितंबर 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड होंगे। यह लैंडिंग पहली बार होगी जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की जाएगी। आईएसआरओ ने चंद्रयान 3 में सफलता की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए कई परिवर्तन किए हैं। इन परिवर्तनों में एक नई लैंडर डिज़ाइन, एक नई रोवर डिज़ाइन, और एक नई लैंडिंग एल्गोरिदम शामिल हैं। आईएसआरओ का यकीन है कि चंद्रयान 3 सफल होगा। संगठन ने कहा है कि अंतरिक्ष यान अच्छे स्वास्थ्य में है और सभी प्रणालियाँ योजनानुसार काम कर रही हैं।
23 अगस्त 2023 को, आईएसआरओ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर अपने लक्ष्य तक पहुंचने में असफल रहे थे और इसलिए वहां नहीं पहुंच सके। आईएसआरओ ने कहा कि वह लैंडर और रोवर की स्थिति की जाँच के लिए काम कर रहा है।
चंद्रयान 3 के लैंडर का लक्ष्य 23 अगस्त को चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र में लैंड करना था। लैंडर के लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना कम थी क्योंकि चंद्र का दक्षिणी क्षेत्र बहुत उच्च और अत्यधिक प्रवेशात्मक है।
आईएसआरओ ने कहा कि वह लैंडर और रोवर की स्थिति की जाँच के लिए काम कर रहा है और वह चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र में उच्च और प्रवेशात्मक स्थितियों को सहन करने के लिए एक नया लैंडर डिज़ाइन बना रहा है।
चंद्रयान 3 का नष्ट होना एक भयानक घटना है, लेकिन यह आईएसआरओ के लिए एक चुनौती भी है। आईएसआरओ को एक नया लैंडर बनाने की आवश्यकता है जो चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र में उच्च और प्रवेशात्मक स्थितियों को सहन कर सके। आईएसआरओ को एक नया रोवर भी बनाने की आवश्यकता है जो चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र में उच्च और प्रवेशात्मक स्थितियों को सहन कर सके।
आईएसआरओ को एक नया लैंडर और रोवर बनाने में सफलता की उम्मीद है। आईएसआरओ का विश्वास है कि वह चंद्र के दक्षिणी क्षेत्र में उच्च और प्रवेशात्मक स्थितियों की जाँच करने और एक नया लैंडर और रोवर बनाने में सफल हो सकता है।
मैं आशा करता हूँ कि आपको चंद्रयान 3 पर यह वीडियो पसंद आया होगा। देखने के लिए धन्यवाद!
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